बहुत ही सुंदर प्रेरक प्रसंग है एक प्रसिद्ध राजा का दरबार खुले आसमान के नीचे लगा हुआ था।
हेलो दोस्तों आज हम आपको बहुत ही अच्छा Hindi Story और प्रेरक प्रसंग कथा कहानी सुनाने जा रहे है। Hindi Story With Moral जिसे सुन कर आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा Hindi Story For Kids और आप अपने जीवन में इसे याद रखेंगे मुझे ये उम्मीद है Hindi Story Writers आप सभी से तो चलिए।
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| बहुत ही सुंदर प्रेरक प्रसंग है एक प्रसिद्ध राजा का दरबार खुले आसमान के नीचे लगा हुआ था। |
एक प्रसिद्ध राजा का दरबार खुले आसमान के नीचे लगा हुआ था ।
पूरी आम सभा सुबह की धूप में बैठी थी। महाराज के सिंहासन के सामने एक शाही मेज थी और उस पर कुछ कीमती चीजें रखी थी ।
विद्वान लोग, मंत्री और दीवान आदि सभी दरबार मे बैठे थे और साथ में राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे ।
ठीक उसी समय एक व्यक्ति सभा में आया और कुछ बोलने की माँगा ।
प्रवेश मिल गया तो उसने कहा “मेरे पास पाँच वस्तुएं हैं, मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और अपनी वस्तुओं को रखता हूँ पर कोई परख नहीं पाता सब हार जाते हैं और मैं विजेता बनकर घूम रहा हूँ, अब आपके नगर मे आया हूँ ।"
राजा ने बुलाया और कहा “क्या वस्तुएं है?"
उस व्यक्ति ने पांचों वस्तुएं सबके सामने कीमती मेज पर रख दी ।
वे पांचों वस्तुएं बिल्कुल समान आकार, समान रुप रंग, समान प्रकाश की थीं औऱ बाकी सब कुछ नख-शिख बिलकुल समान था ।
कुछ देर तक देखने के बाद राजा ने कहा ये पांचों वस्तुएं तो एक हैं ।
उस व्यक्ति ने कहा हाँ दिखाई तो एक सी ही देती है लेकिन हैं भिन्न । इनमें से एक है बहुत कीमती हीरा और बाकी महज काँच का टुकडा हैं ...लेकिन रूप रंग सब एक है, कोई आज तक परख नही पाया क़ि कौन सा हीरा है और कौन सा काँच का टुकड़ा..कोई परख कर बताये कि....ये हीरा है और बाकी काँच..अगर परख खरी निकली...तो मैं हार जाऊंगा और.. यह कीमती हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी में जमा करवा दूंगा....पर शर्त यह है कि यदि कोई नहीं पहचान पाया तो इस हीरे की जो कीमत है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी ।
इसी प्रकार से मैं कई राज्यों से जीतता आया हूँ ।
राजा ने कहा मैं तो नहीं परख सकूंगा ।
दीवान बोले हम भी हिम्मत नहीं कर सकते क्योंकि सारी की सारी वस्तुएं बिल्कुल समान है ।
हारने के डर से कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था..क्योंकि हारने पर धन देने पड़ेंगे...पर सवाल ये नहीं था क्योंकि राजा के पास बहुत धन था, पर राजा की प्रतिष्ठा गिर जायेगी, इसका सबको भय सता रहा था ।
उस सभा में मौजूद कोई भी व्यक्ति पहचान नहीं पाया ।
आखिरकार पीछे थोड़ी हलचल हुई ।
एक अंधा आदमी हाथ मे लाठी लेकर उठा.. उसने कहा मुझे महाराज के पास ले चलो...मैंने सब बाते सुनी है और यह भी सुना है कि कोई परख नहीं पा रहा है...एक अवसर मुझे भी दो ।
एक आदमी के सहारे वह अंधा राजा के पास पहुंचा ।
फ़िर उसने राजा से प्रार्थना की... मैं तो जन्म से अंधा हूँ फिर भी मुझे एक अवसर दिया जाये, जिससे मैं भी एक बार अपनी बुद्धि को परख सकूं...और हो सकता है कि सफल भी हो जाऊं..और यदि सफल न भी हुआ तो वैसे भी आप तो हारे ही है ।
राजा को लगा कि इसे अवसर देने में कोई हर्ज नहीं है
राजा ने हाँ कर दी।
उसके बाद उस अंधे आदमी को दोनों चीजें छूने के लिए दी गयी ...और पूछा गया कि इसमें कौन सा हीरा है और कौन सा काँच….?? यही तुम्हें परखना है ।
कुछ समय के बाद उस आदमी ने कह दिया कि यह हीरा है और बाकी काँच।
जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया और बोला “सही है आपने पहचान लिया.. धन्य हो आप… अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी में दे रहा हूँ ।
सब बहुत खुश हो गये और जो आदमी आया था वह भी
बहुत प्रसन्न हुआ कि कम से कम कोई तो मिला असली हीरा परखने वाला ।
उस आदमी, राजा और अन्य सभी लोगों ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई कि तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और बाकी काँच ?
उस अंधे ने कहा की सीधी सी बात है महाराज...धूप में हम सब बैठे है.. मैंने सब को छुआ .. जो ठंडा रहा वह हीरा.....जो गरम हो गया वह काँच.....
ज़िंदगी का भी यही मूल मंत्र है..जो बात-बात में गरम हो जाए , उलझ जाये,हिम्मत हार जाए...वह व्यक्ति "काँच" है...
और
जो विपरीत परिस्थिति में भी ठंडा रहे..
वह व्यक्ति "हीरा" है.....!!
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